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पूर्व सेना प्रमुख ने किया बदलाव का विरोध ...

राज्यसभा का 250वां सत्र

राज्यसभा के एतिहासिक 250वें सत्र के पहले दिन एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। दरअसल, सदन में चेयरमैन की कुर्सी के पीछे खड़े होने वाले मार्शल सेना के जैसी यूनिफॉर्म पहने नजर आए। अब से पहले ये मार्शल बंद गले की कमीज और साफा पहने नजर आते थे। मार्शलों ने मिलिट्री स्टाइल की टोपी के साथ नीले रंग की यूनिफॉर्म पहनी हुई थी और कंधे पर पट्टियां थीं। अनुमान लगाया जा रहा है कि गर्मी के मौसम में ये मार्शल सफेद यूनिफॉर्म में नजर आएंगे, जो भारतीय नौसेना की यूनिफॉर्म से प्रेरित होगी।

साल 1950 के बाद पहली बार हुआ बदलाव

राज्यसभा सूत्रों के मुताबिक मार्शल की यूनिफॉर्म में अंतिम परिवर्तन साल 1950 में हुआ था, तब से अब तक यह पहला बदलाव है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के मीडिया सलाहकार एए राव ने बताया, कोई बदलाव किए हुए लंबा समय बीत गया था, इसलिए उपराष्ट्रपति ने सोचा कि हमें यह अब करना चाहिए।

कौन होते हैं मार्शल और क्या है इनका काम

स्पीकर के बाएं ओर खड़ा व्यक्ति मार्शल होता है और दूसरा व्यक्ति डिप्टी मार्शल। लोगों को लगता होगा कि इनका काम चेयर के आदेश पर उपद्रवी सदस्यों को बाहर करना और उपद्रव के दौरान किसी को स्पीकर तक पहुंचने से रोकना होता है। अगर आप भी यही समझते हैं को आप भी गलत हैं। दरअसल, ये मार्शल सदन चलाने में स्पीकर की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका चयन भी एक कठिन प्रक्रिया द्वारा होता है जिसमें संसद के नियमों और प्रक्रियाओं को लेकर इनके ज्ञान को परखा जाता है। तो सवाल यह है कि असल में सांसदों को बाहर कौन ले जाता है? यह काम मार्शलों का नहीं बल्कि वार्ड अधिकारियों का है। 

पूर्व सेना प्रमुख ने किया बदलाव का विरोध

वहीं, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक इन बदलावों के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने अपनी असहमति एक ट्वीट के जरिए जाहिर की जिसमें उन्होंने लिखा, 'सेना से संबंध न रखने वाले लोगों द्वारा सैन्य यूनिफॉर्म की नकल करना और पहनना अवैध है और सुरक्षा के लिए जोखिम है।'

खास बातें

1.राज्यसभा के एतिहासिक 250वें सत्र के पहले दिन दिखा यह परिवर्तन।

2.अभी नीली तो गर्मियों के मौसम में सफेद यूनिफॉर्म में आएंगे नजर।

3.1950 के बाद पहली बार किया गया मार्शलों की यूनिफॉर्म में बदलाव।

4.पूर्व सेना प्रमुख वीके मलिक ने इसे सुरक्षा के लिए जोखिम करार दिया।

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