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केंद्रीय बजट से यूपी की उम्मीदों को भी लगा झटका ...

चालू वित्त वर्ष की अपेक्षा कम

केंद्र सरकार के 2020-21 के आम बजट से यूपी की उम्मीदों को झटका लगा है। 15वें वित्त आयोग की संस्तुति पर प्रदेश को केंद्रीय करों में मिलने वाली हिस्सेदारी घट गई है। चालू वित्त वर्ष के आम बजट के मुकाबले अगले वित्त वर्ष में करीब 4700 करोड़ रुपये कम मिलने का अनुमान है।
मोदी-2 सरकार के दूसरे आम बजट से राज्यों को बड़ी उम्मीदें थी। लेकिन, 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियों का हवाला देते हुए केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 42 से घटाकर 41 प्रतिशत कर दी गई है। इसी तरह राज्यों के बीच हिस्सेदारी आवंटन के शेयर में भी बदलाव किया गया है।

14वें वित्त आयोग की संस्तुति के अनुसार यूपी को राज्यों में वितरित की जाने वाली कुल राशि का 17.959 प्रतिशत हिस्सा मिलता था, जो 15वें वित्त आयोग की संस्तुति से 17.931 प्रतिशत ही मिलेगा। इसमें 0.028 प्रतिशत की गिरावट आई है।

2019-20 के लिए 14वें वित्त आयोग के फॉर्मूले पर केंद्रीय करों में यूपी की हिस्सेदारी 1,45,312.19 करोड़ लगाई गई थी लेकिन, 2020-21 के बजट में 15वें वित्त आयोग के फॉर्मूले से आवंटन घटकर 1,40,611.48 करोड़ रुपये हो गया है। यह चालू वित्त वर्ष की अपेक्षा 4700.71 करोड़ रुपये कम है।

तो चालू वित्त वर्ष में मिलेंगे साढ़े 27 हजार करोड़ कम

जानकार बताते हैं कि मंदी का असर बजट पर साफ-साफ पड़ा है। केंद्र की 2019-20 की केंद्रीय करों की प्राप्तियों का पुनरीक्षित अनुमान इसका प्रमाण है। अनुमान के हिसाब से राजस्व न आने से केंद्रीय करों की राशि कम हुई है जिससे राज्यों का आवंटन पहले से भी कम हो गया है।

केंद्र ने 2019-20 के बजट में 14वें वित्त आयोग के फॉर्मूले पर केंद्रीय करों में यूपी की हिस्सेदारी 1,45,312.19 करोड़ लगाई गई थी। लेकिन, 2020-21 के बजट में 2019-20 के प्रस्तावित आवंटन का अनुमान खरा नहीं उतरा। इसे पुनरीक्षित कर 1,17,818.30 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह बजट अनुमान से 27,493.89 करोड़ रुपये कम है। 2018-19 में प्रदेश को 1,32,345 करोड़ रुपये वास्तविक रूप से मिले थे। पुनरीक्षित आवंटन इससे भी कम है।

प्रदेश की योजनाओं पर पड़ेगा असर, बजट घाटा भी बढ़ने का खतरा

केंद्रीय करों में हिस्सेदारी घटने का असर प्रदेश सरकार की ओर से संचालित योजनाओं, परियोजनाओं पर पड़ना तय माना जा रहा है। प्रदेश को वेतन, भत्ते व अन्य आवश्यक खर्चे जैसे वचनबद्ध खर्च करने ही है। इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं व परियोजनाओं में राज्यांश देने की वचनबद्धता है। ऐसे में केंद्रीय करों में आवंटन का अनुमान घटने पर यदि प्रदेश सरकार ने अपनी प्राप्तियां बढ़ाने की योजना पर तत्काल कुछ नए कदम नहीं उठाए तो बजट घाटा भी बढ़ने का खतरा है।

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