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घरों में बंद रहने से शरीर में हो सकती है विटामिन डी कमी ...

विटामिन डी है जरूरी

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने कहा है कि महामारी के इस दौर में लोगों को हर दिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन लेनी चाहिए। कोरोना के दौर में बहुत से लोगों ने घरों से बाहर निकलना काफी कम कर दिया है। जो निकल भी रहे हैं, वो बस सुबह-शाम। यह सही भी है, लेकिन इससे कुछ खतरा भी है। वो है, शरीर में विटामिन डी का कम हो जाना है। ऐसा सूर्य की रोशनी का शरीर तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाने से हो सकता है, क्योंकि विटामिन डी का प्रमुख स्रोत सूर्य की रोशनी ही है। 
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉ. उमा कुमार कहती हैं कि विटामिन डी शरीर की इम्युनिटी को मेनटेन करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है। हडि्डयों को मजबूत बनाता है। शरीर के अन्य सभी तंत्रों को सही तरीके से चलाने में भी इसकी काफी अहम भूमिका होती है। इसलिए विटामिन डी की कमी शरीर में नहीं होने देना चाहिए, लेकिन विटामिन डी को कभी खुद से नहीं लेना चाहिए, हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेना चाहिए। 

विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होने से कार्डियक डेथ का खतरा

डॉ. उमा के मुताबिक शरीर में विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होने से कैल्शियम का लेवल बढ़ जाता है, इससे कार्डियक डेथ का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए कभी सप्लिमेंट्स लेने की कोशिश न करें।
विटामिन शरीर के लिए उतना ही जरूरी है, जितना अन्य कंपोनेट्स होते हैं। इसलिए इसे बस मेनटेन किए रहें। इसके लिए बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है।   कुछ स्टडी का यह भी कहना है कि शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त उपलब्धता से सामान्य जुकाम और फ्लू से बचा जा सकता है।

विटामिन डी को लेकर ब्रिटिश एक्सपर्ट्स की सलाह

ब्रिटिश सरकार में सेहत और पोषण को लेकर काम करने वाली संस्था साइंटिफिक एडवाइजरी कमिशन ऑन न्यूट्रिशन और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस ने कोरोना में विटामिन डी की भूमिका को लेकर रिपोर्ट तैयार की है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है कि महामारी के इस दौर में लोगों को हर दिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन लेनी चाहिए। खासकर, उन लोगों को जो घरों में ज्यादा रहे हैं। 

हालांकि पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने पूरे साल विटामिन डी की सप्लिमेंट लेने की सलाह दी है। पीएचई का कहना है कि जो बाहर नहीं जा पा रहे हैं या केयर होम में रह रहे हैं, उनके लिए विटामिन डी अलग से लेना बहुत जरूरी है। स्कॉटलैंड और वेल्स सरकारों के अलावा उत्तरी आयरलैंड की पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने भी लॉकडाउन में इसी तरह की सलाह दी है।

विटामिन डी और कोरोना का कोई आपस में कनेक्शन नहीं है

डॉ. उमा कहती हैं कि विटामिन डी और कोरोना का कोई आपस में कनेक्शन नहीं है। और न ही विटामिन डी कोरोना का ट्रीटमेंट है। हां, जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है, उनके बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे लोगों में ऑटो इम्युन डिसीज की आशंका ज्यादा होती है। लेकिन, विटामिन डी की स्क्रीनिंग बिना मतलब नहीं कराना चाहिए। पिछले सालों में हुई कम्युनिटी बेस्ड स्टडीज के मुताबिक देश में करीब 50 से 90% लोगों में विटामिन की कमी पाई गई थी।

क्या विटमिन डी से कोरोना को रोका जा सकता है?

नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस ने विटमिन डी पर हुई रिसर्च की समीक्षा में बताया है कि इसके कोई सबूत नहीं हैं, जिसके आधार पर कहा जाए कि विटामिन डी के सप्लिमेंट से कोविड-19 को रोका जा सकता है। लेकिन, एक्सपर्ट्स इस बात से सहमत हैं कि महामारी के वक्त में विटामिन डी के कई फायदे भी हैं, इसलिए इसकी शरीर में कमी नहीं होने देने की जरूरत है।

बीएमजे न्यूट्रिशन, प्रिवेंशन एंड हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन डी खास चीजों के लिए दी जानी चाहिए न कि कोविड-19 के इलाज के तौर पर। लेकिन, विटामिन डी हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में रहनी चाहिए। कुछ रिसर्चर्स का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति में विटामीन डी की कमी है और वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो उसे ठीक करना थोड़ा मुश्किल है। 

क्या विटामिन डी की डोज अलग से लेनी चाहिए?

नहीं। डॉक्टर उमा के मुताबिक, विटामिन डी की डोज अलग से सुरक्षित नहीं होती हैं। इसलिए डॉक्टर से बिना पूछे कोई भी सप्लिमेंट न लें। यदि आप डॉक्टर की बताई डोज से ज्यादा लेते हैं तो इससे मौत भी हो सकती है। 

दुनियाभर की स्टडी क्या कहती हैं?

एक स्टडी के मुताबिक, विटामिन डी से वायरल इन्फेक्शन और कोविड-19 के सिम्पट्म्स एमेलीओरेट और साइटोकाइन स्ट्रोम का खतरा कम होता है। यूरोप के 20 देशों में विटामिन डी को लेकर हुई एक स्टडी में पता चला कि जिन देशों के लोगों में विटामिन डी का लेवल कम था, उनमें कोरोना वायरस के केस ज्यादा देखने को मिले, ऐसे लोगों की मौतें भी ज्यादा हुईं। खासकर, स्पेन, इटली और स्विट्जरलैंड के लोगों में विटामिन डी का स्तर काफी कम रहा।

इंडोनेशियन रेस्ट्रोस्पेक्टिव चोर्ट स्टडी के शोधकर्ताओं ने 780 कोविड-19 की मरीजों का अध्ययन किया है, तो पता चला कि इनमें उन लोगों की सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जिनमें विटामिन डी का लेवल सामान्य स्तर से काफी कम था।

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