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दवा के ट्रायल की जानकारी न देने पर लगाई फटकार ...

अध्ययन या अनुसंधान का कोई विवरण नही

नई दिल्ली-: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 के खिलाफ एपीटी संयोजन के चल रहे परीक्षण के बारे में जानकारी नहीं देने पर केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद की मंगलवार को खिंचाई की और कहा कि ऐसा लगता है कि सीसीआरएच कुछ करने के लिए कोरोना वायरस की चौथी लहर का इंतजार कर रहा है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ सीसीआरएच द्वारा दायर हलफनामे को लेकर भी नाराज हुई। यह हलफनामा दो डॉक्टरों की याचिका पर दायर किया गया है जिन्होंने कोविड-19 की रोकथाम के लिए "आरसेनिकम एल्बम-फॉस्फोरस-ट्यूबरकुलिनम" (एपीटी) संयोजन के क्लिनिकल परीक्षण का अनुरोध किया गया था।

पीठ ने कहा कि हलफनामे में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं जबकि जो अध्ययन या अनुसंधान वह कर रहा है, उसका कोई विवरण नहीं है। अदालत ने कहा, "आप क्या अध्ययन या अनुसंधान कर रहे हैं? (होम्योपैथी) दवाइयों के किस संजोयन पर आपने अनुसंधान किया है? आप हमें बता क्यों नहीं रहे हैं? आप किस प्रक्रिया का अनुसंधान कर रहे हैं? इसके नतीजे कब मिलेंगे? आपने अपने हलफनामे में इस बारे में एक शब्द नहीं कहा। ऐसा लगता है कि सीसीआरएच कुछ करने के लिए (कोविड-19) की चौथी लहर का इंतजार कर रहा है। "

अदालत ने सीसीआरएच को चेताया

अदालत ने सीसीआरएच को चेताया कि वह याचिकाकर्ता के खिलाफ इस तरह आरोप लगाने वाला आक्रामक हलफनामा भविष्य में दायर नहीं करे और पूछा कि इन आरोपों की क्या जरूरत थी। पीठ ने सीसीआरएच को नया हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और कहा कि वह बताए कि उन आठ परीक्षण को कब शुरू किया गया, जिन्हें शुरू करने का उसने दावा किया था। साथ में इन्हें किन के सहयोग से शुरू किया गया और ये कौन से चरण में हैं।

अदालत ने कहा कि सीसीआरएच के विपरित दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में बताया है कि होम्योपैथी की तीन दवाइयों का इस्तेमाल कर इस साल अक्टूबर में परीक्षण शुरू किया गया और इसके लिए संस्थागत एथिक्स समिति क्लिनिकल परीक्षण पंजीकरण, भारत से मंजूरी ली गई है।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता जवाहर राजा ने अदालत को बताया कि परीक्षण के लिए करीब 18000 लोगों को शामिल किया जाएगा और इसके जनवरी-फरवरी 2020 तक पूरा होने के आसार हैं।

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