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महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने दी हरी झंडी ...

संक्रमण को रोकने के लिए हर संभव सावधानी बरतेंगे

मुंबईः कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म करने के लिए देश में 17 मई तक लॉकडाउन किया गया है। इस बीच प्रवासी मजदूरों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा है और वे लगातार भारी संख्या में देश के विभिन्न शहरों से अपने गांवों की ओर पलायान कर रहे हैं। इस पलायन के बीच महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने मजदूरों की कमी का सामना कर रहे राज्यभर के कारखानों में 30 जून तक 12-घंटे काम करने की अनुमति दे दी। हालांकि, श्रमिक संघों ने इस कदम का विरोध किया है और आरोप लगाया कि इससे कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के श्रम विभाग के सूत्रों ने कहा कि यह फैसला एक उद्योग संघ द्वारा मजदूरों की कमी का हवाला देने के बाद उठाया गया। श्रममंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा कि हमें दो उद्योग निकायों से यह मजदूरों की कमी का हवाला देते हुए अनुरोध किया गया था कि 12 घंटे की शिफ्ट को मंजूरी दी जाए क्योंकि कई गांव अपने गांवों में वापस चले गए हैं। सरकार ने फैक्ट्रीज एक्ट में दी गई शक्ति का प्रयोग करते हुए जून तक 12 घंटे की शिफ्ट की अनुमति दी है। 

अधिकारियों ने कहा कि अधिनियम के अनुसार, आठ घंटे की शिफ्ट और अतिरिक्त एक घंटे के ओवरटाइम की अनुमति है। उप सचिव (श्रम) श्रीकांत पुलकुंडवार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि जो कारखानें मजदूरों की कमी का सामना कर रहे हैं उनकों 12-घंटे काम करवाने की अनुमति दी जा रही है। 

उन्होंने कहा है कि 12 घंटे की शिफ्ट के कुछ शर्तें रखी गई हैं, जिसके अनुसार, कारखानों को मजदूरों को अतिरिक्त चार घंटे के काम के लिए नियमित मजदूरी का दोगुना भुगतान करना होगा। साथ ही साथ कारखानों से अपेक्षा की गई है कि वे अपने परिसर में कोविड -19 के संक्रमण को रोकने के लिए हर संभव सावधानी बरतेंगे। यह भी सुनिश्चित करेंगे कि दो श्रमिकों के बीच सुरक्षित दूरी रहे और मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बीच जिन कारखानों को संचालन की अनुमति दी गई है, वे मजदूरों से 12 घंटे की शिफ्ट करवा सकते हैं। लेकिन यह केवल उन उद्योगों पर लागू होता है जो मजदूरों की कमी का सामना कर रहे हैं।

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