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विकास दर 10 फीसदी करने का लक्ष्य ...

बजट विश्लेषण 2020....

राजकोषीय आंकड़ों से आगे इस बजट में वही सब देखने को मिला है, जिसकी अर्थव्यवस्था के जानकारों को आशा थी। हर वर्ग को लुभाने वाले बजट के पीछे स्पष्ट लक्ष्य वस्तुओं और सेवाओं की मांग में बढ़ोतरी करना रहा है। पिछले कुछ समय से बाजार में मांग की कमी से व्यापार, रोजगार और निवेश मंद पड़ने लगे थे, जिसका सीधा आकलन गिरती आर्थिक विकास दर से होने लगा था।
वित्त मंत्री के शुरुआती बजट भाषण से ही सरकार की आर्थिक नीति की दिशा स्पष्ट दिखाई पड़ गई थी, जिसमें सरकार के शुरुआती वर्षों में अर्थव्यवस्था के ढांचागत सुधारों को ही बुनियादी लक्ष्य का उल्लेख था।  विमुद्रीकरण, जीएसटी और पारदर्शी वित्तीय लेन-देन जहां एक ओर काले धन पर करारी चोट बनी है, वहीं पर अनेक नए बदलाव के लिए आवश्यक संस्थागत सुधार अर्थव्यवस्था को सुस्त करने लग गए थे।

इस बजट में सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत वृद्धि दर यानी कि विकास दर 10 फीसदी करने का लक्ष्य अपने आप में ही वित्त मंत्रालय की अपने प्रावधानों से स्पष्ट उम्मीद है। यह उम्मीद मात्र मांग वृद्धि से होकर कीमत वृद्धि तक ही न सिमटे, इसलिए अनेक कर-रियायतों से आगे छोटे-बड़े, नए-पुराने सभी उद्यमों को अनेकों प्रोत्साहन देकर उत्पादन बढ़ाने पर भी केंद्रित है।

आय के निचले पायदान पर लोगों के लिए निरंतर शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, जीवन आय सुरक्षा मिलती रहे, इसके कई प्रावधानों में वृद्धि ही होती आई है। सरकार की ओर से अनेक आर्थिक और सुशासन के सुधारों को आगे बढ़ाने का संकल्प भी बजट भाषण में स्पष्ट दिखाई दिया। पर्यावरण और विकास में संतुलन स्थापित करने के भी प्रयास दिखाई दिए। हिमाचल को अपनी हवा की शुद्धता और बढ़ाने से पुरस्कार पाने का अवसर भी इस बजट में है। ‘

सबका साथ सबका विकास’ से आगे यह बजट ‘विवाद से विश्वास’ की और भी है क्योंकि इसमें ‘जीवन यापन को आसान करना’ और ‘व्यापार करने को भी आसान बनाने’ के लक्ष्य भी साथ-साथ हैं। उद्यमी और निवेशक जोकि आधुनिक अर्थव्यवस्था के ऐसे महत्वपूर्ण पहिये हैं जिनसे देश राज्य में रोजगार और आय बढ़ोतरी संभव है, उन्हें प्रोत्साहन से आगे सम्मान तक की मंशा अनेकों जगह देखने को मिली।

कृषि और सहकारिता पर कई प्रावधानों से आगे गांव तक डाटा नेटवर्क बढ़ाना और शहरों में एयरपोर्ट में वृद्धि, भारत की नई आकांक्षाओं से ताल मेल स्थापित करता है। कई नए प्रयोजनों और स्कीमों के अलावा कुल मिलाकर निवेश, रोजगार और आय में वृद्धि की इस बजट से अच्छी उम्मीद है। हालांकि सपने और उस पर किए यह ईमानदार प्रयास कितने सफल-असफल होते हैं, इसका सही आकलन वर्ष के अंत तक ही संभव हो सकेगा। 
एसोसिएट प्रोफेसर (अर्थशास्त्र), हिमाचल लोक प्रशासन संस्थान (हिपा), शिमला

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