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पी एम मोदी रविवार को 11 बजे लॉन्च करेंगे संपत्ति कार्ड ...

शुरू होगा वितरण

नई दिल्ली-: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को 'स्वामित्व' योजना की शुरुआत करेंगे। इस योजना के तहत मालिकों को उनकी संपत्ति के मालिकाना हक के रिकार्ड से जुड़े कार्ड भौतिक तौर पर उपलब्ध कराये जाएंगे। कार्यक्रम का आयोजन वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिये होगा। पीएम मोदी ने शनिवार को ट्वीट किया, 'कल का दिन ग्रामीण भारत के लिए एक बड़ा सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला है। सुबह 11 बजे स्वामित्व योजना के अंतर्गत संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया जाएगा। यह योजना करोड़ों भारतीयों के जीवन में मील का पत्थर साबित होगी।'

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इसे ग्रामीण भारत में बदलाव लाने वाली ऐतिहासिक पहल बताया है। सरकार की इस पहल से ग्रामीणों को अपनी जमीन और संपत्ति को एक वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करने की सुविधा मिलेगी जिसके एवज में वह बैंकों से कर्ज और दूसरा वित्तीय फायदा उठा सकेंगे। पीएमओ ने कहा कि इस कार्यक्रम की शुरूआत से करीब एक लाख संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति से जुड़े कार्ड अपने मोबाइल फोन पर एसएमएस लिंक के जरिये डाउनलोड कर सकेंगे। इसके बाद संबंधित राज्य सरकारों द्वारा संपत्ति कार्ड का भौतिक वितरण किया जाएगा।

छह राज्‍यों के 763 गांवों को मिलेगा इसका लाभ

ये लाभार्थी छह राज्यों के 763 गांवों से हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के दो गांव शामिल हैं। बयान के अनुसार महाराष्ट्र को छोड़कर इन सभी राज्यों के लाभार्थियों को एक दिन के भीतर अपने संपत्ति कार्ड की भौतिक रूप से प्रतियां प्राप्त होंगी। महाराष्ट्र में संपत्ति कार्डों के लिये कुछ राशि लिये जाने की व्यवस्था है, इसलिए इसमें एक महीने का समय लगेगा।

पीएमओ के बयान के अनुसार यह पहली बार है कि लाखों ग्रामीण संपत्ति मालिकों के लाभ के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर बड़े स्तर पर अभियान शुरू किया जा रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री कुछ लाभार्थियों से बातचीत भी करेंगे. स्वामित्व पंचायती राज मंत्रालय की योजना है। प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती दिवस पर इसकी शुरूआत की थी। योजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में घरों के मालिकों को अधिकार संबंधी रिकार्ड से संबद्ध संपत्ति कार्ड उपलब्ध कराना है। बयान के अनुसार इस योजना को चरणबद्ध तरीके से चार साल (2020-24) में पूरे देश में लागू किया जाना है। इसके दायरे में करीब 6.62 लाख गांव आएंगे।

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