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सीएए के विरोध में ‘शाहीन बाग’ बना हल्द्वानी ...

धरना जारी....

सीएए और एनआरसी के विरोध में उत्तराखंड के हल्द्वानी में शुरू हुए धरने ने बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है। मुस्लिम महिलाएं बुधवार सुबह से ही हल्द्वानी के ताज चौराहे पर जुटना शुरू हो गईं। वहीं उनका ये धरना अभी तक जारी है। प्रदर्शनकारियों ने 72 घंटे धरने का एलान किया है। महिलाएं रातभर बच्चों के साथ धरने पर बैठी रहीं।  गुरुवार को भी धरना जारी रहा।
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ सैकड़ों महिलाएं ताज चौराहे पर धरने पर बैठी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से सीएए और एनआरसी को वापस लेने की पुरजोर मांग उठाई। साथ ही संविधान और वतन की धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने का संकल्प लिया।
महिलाओं ने एनआरसी और सीएए को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ खूब नारेबाजी की। वे हाथों में सीएए और एनआरसी के विरोध की तख्तियां लहरा रहीं थीं। पुलिस भी अचानक हुए आंदोलन को देखते ही घबरा गई। महिलाएं सीएए को काला कानून बताते हुए ढपली की थाप पर मोदी सरकार के विरोध में नारेबाजी करने लगी। 
आंदोलन का समर्थन करने के लिए कांग्रेस की पूर्व विधायक सरिता आर्या, अब्दुलमतीन सिद्दीकी जगदीश पांडे और रजनी जोशी चौराहे पर पहुंचे थे। इसके बाद आंदोलनकारियों को बल मिल गया। पुलिस ने महिलाओं को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थीं। 
बनभूलपुरा में महिलाओं के आंदोलन को लेकर बैठक के दौरान ताना बाना बुना गया था लेकिन थानाध्यक्ष सुशील कुमार का कहना है कि उनको भनक तक नहीं लगी थी। इसी प्रकार सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम का कहना है कि उनको जानकारी नहीं मिली थी। इस बारे में पुलिस और प्रशासन ने धरने के लिए परमिशन भी नहीं दिया था। 
मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि सरकार और उसके नुमाइंदों की कथनी और करनी में अंतर है। उनका कहना है कि बड़े मंचों पर पीएम और गृह मंत्री खुले तौर पर कह रहे हैं कि इससे किसी की नागरिकता नहीं छिनेगी, जबकि नागरिकता बचेगी कैसे, यह नहीं बता रहे। उनका कहना है कि सरकार को जनता की आवाज को मद्देनजर रखते हुए अपनी जिद छोड़नी चाहिए।

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