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लखनऊ, पटना, आगरा और कानपुर में 'धरती' की जांच करवाएगी सरकार ...

भूकंप: कानपुर अमृतसर, धनबाद और मेरठ भी लिस्ट में, इसी रिपोर्ट के आधार पर दी जाएगी निर्माण की सलाह, भूकंप से होने वाले नुकसान को इस तरह किया जा सकता है कम।

नई दिल्ली:- अब तक भूकंप का पूर्वानुमान संभव नहीं हो पाया है। इसलिए इसका खतरा कायम है, लेकिन कुछ कोशिशों के जरिए उससे होने वाले जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने एक ऐसा ही काम शुरू किया है। जल्द ही लखनऊ, पटना, आगरा और बनारस के नीचे की धरती की जांच करवाई जाएगी। जमीन में ड्रिलिंग करके मिट्टी के नमूने एकत्र किए जाएंगे। उसकी ताकत देखी जाएगी। लैब में उसकी वैज्ञानिक जांच के बाद पता चलेगा कि इन शहरों में कौन सा क्षेत्र भूकंप के लिहाज से ज्यादा और कम खतरनाक है। उस रिपोर्ट के आधार पर वहां भूकंपरोधी तकनीक से निर्माण की सलाह दी जाएगी।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक जिन और शहरों के नीचे की धरती की संरचना की जांच होनी है उसमें कानपुर अमृतसर, धनबाद और मेरठ भी शामिल हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे सिस्‍मिक माइक्रोजोनेशन कहते हैं। दिल्‍ली में यह काम पूरा हो गया है। रिपोर्ट भी आ गई है। इसी तर्ज पर चेन्नई, भुवनेश्वर, मंगलौर और कोयंबटूर में काम हो रहा है। इसकी रिपोर्ट 2021 तक आ जाएगी।

सरकार ने कहा है कि भूकंप का पूर्वानुमान संभव नहीं है। लेकिन उससे नुकसान को कम करने के लिए उचित कदम उठाए जा सकते हैं। माइक्रोजोनेशन एक ऐसा ही कदम है, जिसमें बसावटी क्षेत्रों पर भूकंप के प्रभाव पर बल दिया जाता है।

भूकंप का पूर्वानुमान अब तक नहीं

विज्ञान इतने आगे निकल गया है लेकिन स्‍थान, समय और तीव्रता की सटीकता के साथ भूकंप आने के पूर्वानुमान का पूरी दुनिया में कोई तंत्र नहीं है। यह एक खामोश खतरे की तरह है, कब आ जाए पता नहीं। वैसे दुनिया भर में इस विषय पर सैकड़ों शोध जारी हैं। डिजास्‍टर मैनेजमेंट के प्रोफेसर अभय कुमार श्रीवास्‍तव कहते हैं कि मनुष्‍य से पहले पशु और पक्षियों को भूकंप की आहट मिलती है। चीटियां बाहर निकल आती हैं। पशु खूंटा तोड़कर भागने के लिए छटपटाते हैं और पक्षी उड़ने लगते हैं।

 

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