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फैज की नज्म राष्ट्र विरोधी है या नहीं इसकी जांच करेगा आईआईटी ...

  ‘हम देखेंगे लाज़िम है’.....

आईआईटी कानपुर में सीएए के विरोध प्रदर्शन के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आईआईटी निदेशक ने साफ कहा है कि संस्थान की प्रतिष्ठा पर दाग लगाने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। छात्रों का निलंबन भी किया जा सकता है। 
सीएए पर आईआईटी छात्रों पर राष्ट्रविरोधी भाषणबाजी करने का आरोप है, वहीं, दूसरी ओर मामले को राजनीतिक रंग भी दिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फेसबुक पर आईआईटी छात्रों के प्रदर्शन का समर्थन किया था।
इससे संस्थान फैकल्टी और अधिकारी नाराज हैं। अधिकारियों ने ममता बनर्जी की पोस्ट पर भी नाराजगी जताई है और कहा कि संस्थान में राजनीति का प्रवेश निंदनीय है। छात्रों के गुटों में भी दो फाड़ हैं। कुछ छात्रों ने विवादित बयान पर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि प्रदर्शन छात्रों पर पुलिस की बर्बरता के खिलाफ था, सीएए या सरकारी मामलों पर प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए नहीं था। अब 15 दिनों में रिपोर्ट आने के  बाद ही स्थिति साफ होगी।

पूरा मामला....

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ आईआईटी कानपुर में 17 दिसंबर को हुए प्रदर्शन का मामला गरमा गया है। कई प्रोफेसरों ने शिकायत की थी प्रदर्शनकारी छात्रों ने विरोध जताने के लिए पाकिस्तानी शायर फैज अहमद की नज्म ‘हम देखेंगे, लाजिम है हम भी देखेंगे...’ गाई थी, जोकि हिंदू और राष्ट्र विरोधी है।

इस पर आईआईटी में एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की गई है, जो इस बात की जांच कर रही है कि नज्म राष्ट्र विरोधी है या नहीं। कमेटी 15 दिन के भीतर रिपोर्ट आईआईटी निदेशक को देगी। सीएए के विरोध में जामिया विवि. के छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन उग्र होने पर पुलिस को लाठियां चलानी पड़ी थीं। पुलिस की कार्रवाई का देशभर के छात्रों ने विरोध किया था। आईआईटी कानपुर के छात्रों ने भी प्रदर्शन करने की अनुमति आईआईटी प्रशासन से मांगी थी। शहर में धारा-144 लागू होने की वजह से आईआईटी प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। इसके बावजूद छात्रों ने 17 दिसंबर को शांति मार्च निकाला था।

आरोप है कि सभा के दौरान छात्रों ने राष्ट्र और हिंदू विरोधी भाषणबाजी की। साथ ही पाकिस्तानी शायर फैज अहमद की नज्म गाई। कुछ छात्रों ने इसका विरोध भी किया था। इससे छात्रों के बीच तनाव हो गया था। इस बीच इसका वीडियो वायरल हो गया।
एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने आईआईटी निदेशक से इस बारे में शिकायत की थी। कई अन्य प्रोफेसरों ने भी इस बारे में निदेशक को अवगत कराया। साथ ही वायरल वीडियो को ट्विटर अकाउंट पर भी अपलोड कर दिया गया। आईआईटी निदेशक ने तुरंत एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित कर दी। कमेटी इस बात की जांच कर रही है कि पाकिस्तानी शायर फैज की नज्म राष्ट्र और हिंदू विरोधी है या नहीं। उस दिन हुई भाषणबाजी की भी जांच की जा रही है।

आईआईटी निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर के मुताबिक जांच कमेटी से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। अगर छात्र दोषी पाए गए, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका संस्थान से निष्कासन तक किया जा सकता है। इस बारे में भी जांच की जांच की जा रही है कि बिना अनुमति शांति मार्च कैसे निकाल लिया।
आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा 17 दिसंबर को जामिया विश्वविद्यालयों के छात्रों के पक्ष में निकाले गए मार्च में फैज अहमद फैज की नज्म का वीडियो वायरल होने और उसकी जांच कराने पर संस्थान ने अपनी सफाई प्रस्तुत की है। गुरुवार को संस्थान के उपनिदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि कविता को पोस्ट मार्च निकाले जाने, इस दौरान कुछ व्यवधान आने पर जांच की जाएगी।
  
प्रो. मणींद्र अग्रवाल कहा कि 17 दिसंबर को स्टूडेंट्स ने बिना अनुमति के मार्च निकाला था। इस दौरान कुछ प्रोफेसरों ने शिकायत की मार्च के दौरान फैज अहमद फैज की नज्म पढ़ी गई जो उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाती है। यह कविता पढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की गई। इन मामलों की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। जो जल्दी अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
 

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