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चौराहों पर लगवाए गए डिस्प्ले बोर्ड पर एक्यूआई को दर्शाया ...

सांस रोगियों की संख्या.....

कानपुर में उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक तीन माह (अक्तूबर से दिसंबर 2019) में शहरियों ने सिर्फ चार दिन ही स्वच्छ हवा में सांस ली। बाकी दिनों में शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) खराब स्थिति में ही रहा। कारण तो बहुत हैं लेकिन मुख्य वजह गड्ढों में तब्दील सड़कों से उठने वाली धूल है। यह जानकारी आशा ट्रस्ट संस्था के महेश पांडेय ने खलासी लाइन स्थित शास्त्री भवन में एनजीओ क्लाइमेट एजेंडा, 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान व निर्माण सेवा संस्थान की ओर से वायु प्रदूषण पर आयोजित कार्यशाला में दी।
उन्होंने कहा कि प्रदूषित हवा के कारण सांस रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। जरूरी है कि नगर निगम, केडीए, जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण विभाग आदि मिलकर स्वच्छ वायु कार्यनीति (एक्शन प्लान) को लागू करें। सबसे पहले स्मार्ट सिटी के अंतर्गत चौराहों पर लगवाए गए डिस्प्ले बोर्ड पर एक्यूआई को दर्शाया जाए। शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए स्वच्छ वायु कार्यनीति लागू कराने के लिए हुई कार्यशाला में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने भाग लिया।
संचालक जयवीर सिंह ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान जारी किया है। इसकी तर्ज पर विभिन्न शहरों के लिए राज्य प्रदूषण बोर्ड ने अलग-अलग एक्शन प्लान बनाए हैं। इन शहरों में कानपुर भी शामिल है। यहां आने वाले तीन वर्षों में 20 से 30 फीसदी वायु प्रदूषण कम करने का लक्ष्य है, लेकिन व्यवहारिक रूप से ऐसा होता नहीं दिखता। कार्यशाला में दीपक मालवीय, सुरेश गुप्ता, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जमील, शंकर सिंह, नौशाद आलम, देव कुमार, सानिया अनवर आदि रहे।

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