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पहले 10 केसों से शुरू हुई थी विवेचना ...

 6 फाइलें बंद होंगी

कानपुर में सन् 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे के छह और केसों(हत्या व हत्या कर डकैती) का पर्दाफाश होगा। एसआईटी(स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) ने इन छह केसों की विवेचना शुरू कर दी है। अब दस के बजाय कुल 16 केसों की विवेचना की जा रही है। वहीं, सबूतों के अभाव में छह केसों की फाइलें बंद करने का फैसला लिया गया है।
शहर के कई और नामचीन शख्स एसआईटी के रडार पर आ गए हैं। दंगों के 28 जघन्य केसों की जांच एसआईटी ने शुरू की थी। एसआईटी एसएसपी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि इनमें से दस केसों की विवेचना पिछले महीने शुरू हो गई थी।

अब बचे हुए 18 मामलों में से छह और केसों की विवेचना करने की अनुमति मिलने के बाद फाइलें खुल गई हैं। यानी कुल मिलाकर हत्या, व हत्या कर डकैती के कुल 16 मामलों की विवेचना एसआईटी कर रही है। इन सभी केसों के दस्तावेज, गवाह व साक्ष्य एसआईटी को मिल गए हैं। जो साक्ष्य व गवाह बचे हैं, एसआईटी उनको जुटा रही है।

छह केसों की फाइलें बंद

एसएसपी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि बचे हुए 12 केसों में से छह केसों की फाइलें बंद कर दी गई हैं। एसआईटी के अफसरों ने यह निर्णय लिया है। दरअसल, इन केसों से जुड़े दस्तावेज नहीं मिले हैं। इसके अलावा अन्य छह केसों से संबंधित कागजात जुटाने के प्रयास जारी हैं।

एसएसपी ने बताया कि जिन फाइलों को बंद किया है अगर जांच के दौरान उनसे संबंधित साक्ष्य व सुबूत मिले, तो उनकी विवेचना की जाएगी। जिसके पास भी सिख दंगे से जुड़े साक्ष्य हों,  एसआईटी दफ्तर कोतवाली में किसी भी दिन दे सकता है। उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा।

कोर्ट से एफआईआर कॉपी जुटाने का प्रयास

जिन केसों की एफआईआर कॉपी व अन्य जानकारी नहीं मिली है, उसमें एसआईटी कोर्ट का सहारा लेगी। एसएसपी ने बताया कि प्रत्येक मामले की एफआईआर की कॉपी कोर्ट में रहती है, इसलिए जिला जज को पत्र भेजकर आग्रह किया जाएगा कि दंगों से संबंधित जो दस्तावेज कोर्ट के पास हों, वो उपलब्ध करवाने में मदद करें।  एसएसपी ने बताया कि गवाहों के बयान जल्द ही कोर्ट में कराए जाएंगे।

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